पाटन/भागवत कथा के छठे दिन भगवताचार्य निरंजन महाराज लिमतरा वाले ने पाटन के मंडी प्रांगण में श्रोता समाज को कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुवे कहा जब जब पृथ्वी पर पाप बढ़ जाता है तब प्रभु पापियों का नाश करने एवम भक्तों को तारने जन्म लेते है उन्होंने कहा की जगत का आनंद, आनंद नही है बल्कि प्रभु भक्ति का आनंद ही परमानंद है ,व्यासपीठ से निरंजन जी ने कहा उत्सव स्थूल शरीर से मनाया जाता है जिसकी एक सीमा है लेकिन महोत्सव जीव आत्मा,सूक्ष्म भाव से मनाया जाता है जो अनंत है इसकी सीमा नहीं है।
उन्होंने बताया पूतना भगवन के जन्म के छठे दिन गोकुल पहुंची ,पूतना अविद्या है इसलिए सर्व प्रथम पूतना का उद्धार किया, आयोजको के द्वारा छत्तिसगढ परंपरा अनुसार कांके चाय,एवम तीली की लड्डू श्रोताओं को प्रसाद के रूप में वितरण किया, एवम दही लूट का आनंद लिया पूरा मंडी प्रांगण हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल के भजनों से गुज़ उठा परीक्षित के रूप में संतोष ध्रुव सपत्नीक बैठे है एवम उनके परिवार के अलावा आसपास के ग्रामीण एवम नगर वासी श्रोता के रूप में उपस्थित थे।