किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खेतो में पड़ने लगी दरारें

खबर हेमंत तिवारी

राजिम (पाण्डुका)/आषाढ़ का मौसम जाने वाला ऐसे में अभी तक बारिश नहीं के बतौर हुआ है।कहा जाए तो किसानो को बिना पानी खेती करने में भारी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है।साथ ही मौसम की बेरुखी से खेतो में बड़ी बड़ी दरार दिखाई पड़ रहा है।अगर ऐसा रहा तो कृषि कार्य पिछड़ जायेगा ।अंचल सहित पूरे जिले में यही हाल है । बारिश नहीं होने की वजह से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ-साफ दिखाई दे रही है ।जिसके पास बोरवेल का साधन है वे अपनी खेती कर रहे हैं पर जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं है उनके लिए तो एक एक दिन भारी पड़ रहा है क्योंकि कृषि कार्य समय पर हो जाने से फसल की कटाई समय पर होती है अब अगर बुवाई ही नहीं हुआ है ।तो फिर कटाई का सवाल ही नहीं है।किसान बिसौह निषाद अपने 4 एकड़ के खेत में धान लगाने के बाद आसमान की तरफ निहार रहा है कि बदरा कब बरसेगा। बादल छा रहा पर जमीन पर नही गिर रहा।आसमान की तरफ उम्मीद लगाए।हजारों किसानो के चेहरे में धीरे धीरे मायूसी छा रहा है। जीवन यापन का एकमात्र साधन खेती किसानी है पर अगर पानी ना गिरे तो फिर कैसे खेती होगा देश का किसान अर्थव्यवस्था के कर्ण धार है। और इन्हीं से पूरा भारतीय अर्थव्यवस्था जुड़ा हुआ है। किंतु सोचने वाली बात है बीते कुछ सालों से मौसम की बेरुखी हर बार ऐसे ही देखने को मिलती है लगातार हो रहा है पेड़ों की कटाई से मौसम का मिजाज बदल रहा है । समय रहते अगर लोग जागरूक नहीं हुई तो जलवायु परिवर्तन से एक दिन ऐसा होगा कि दुनिया में हाहाकार मच जाएगा ।पर।आज जरूरत है।

असल में वृक्ष लगाने की केवल फोटो खींचने और अवार्ड लेने के लिए नही पौधा लगा रहे तो उसे पेड़ बनने तक संरक्षण भी देना है। साथ ही समय के साथ-साथ अब धान की रबी फसल को धान की बजाय दलहन तिलहन लेना की धान की फसल में सिंचाई के लिए पानी की ज्यादा जरूरत होती है और जिले में कई जलाशय है जो इन दोनों सूखा पड़ा हुआ है।क्यों की इसका पूरा पानी हाल ही में लगाए रबी फसल में खत्म हो गया है।अभी पानी रहता तो सिंचाई के काम आता ।साथ ही पानी की संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे भविष्य के लिए बचा कर रखना जरूरी है पर ये सब बातें लोग जानते हुए भी मानते नहीं है यह विकट परिस्थिति आने वाले समय में भयावह होने वाली है समय रहते हैं सचेत और सुधार नहीं हुआ तो ये गंभीर समस्या बनेगा। बहरहाल मौसम की बेरुखी से किसान आस लगाए बैठे हैं तो कृषि कार्य में तेजी आ जाए।कृषि से संबंधित सारे कार्य समय पर संपन्न हो सके।।

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