- गलत तरीके से इलाज के दौरान आदिवासी महिला की हुई थी मौत हो
छुरा/ केंद्र व राज्य सरकार लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है पर जिले के निजी अस्पताल सारी।योजनाओ को पलीता लगा रहे है।और नियम विरुद्ध इलाज कर मोटी रकम कमां रहे हैं ।मामला जिला गरियाबंद के विकासखंड छुरा स्थित लक्ष्मी नारायण हास्पिटल का जहा एक आदिवासी महिला की गलत तरीके से सर्जरी कर मौत के मुह में ढकेलने का मामला गरमाया और जिला प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठते देख अंततः जिला प्रशासन ने आज लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को सील कर दिया सिल के दौरान इस अस्पताल में बहुत सारे मरीज भर्ती थे जिन्हें जिला अस्पताल शिफ्ट किया गया और सभी वार्डो का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद अस्पताल का सील किया गया बता देती आदिवासी महिला के पीड़ितपरिवार कुछ दिन पहले कलेक्टर और एसपी गरियाबंद में शिकायत की थी जिस पर जिला स्वास्थ्य विभाग में संज्ञान लेते हैं मामले की जांच की गलत पाए जाने पर अंततः लक्ष्मी नारायण हॉस्पिटल को आगामी कार्यवाही होने तक बंद कर दिया जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार आगे इस पर और सक्त कार्यवाही होने का अंदेशा दिख रहा है जिसमे सर्जरी करने वाले डॉक्टर के ऊपर गाज गिर सकता है ।मामला कुछ इस प्रकार हैं। मामूली पेट दर्द के चलते वार्ड क्रमांक 3 ग्राम कुल्हाडीघाट,मैनपुर जिला गरियाबंद निवासी गैन्दू बाई ध्रुव 35 वर्षीय आदिवासी महिला को छुरा स्थित लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में विगत 10 अप्रैल को इलाज के लिए भर्ती किया गया। हास्पिटल संचालक व जिम्मेदार चिकित्सकों द्वारा सफल ईलाज होने का आश्वासन दिया गया।आश्वासन पश्चात मरीज गैन्दूबाई ध्रुव को 11 अप्रैल को सिटी स्कैन हेतु राजिम के डायग्नोसिस सेंटर ले जाया गया।सिटी स्कैन बाद लक्ष्मी नारायण हास्पिटल संचालक व चिकित्सकों द्वारा मरीज के परिजनों को कहा गया कि मरीज को हिस्टरेक्टमी यानी बच्चेदानी का कैंसर है इनका सर्जरी करना पड़ेगा नहीं तो मरीज की जान को खतरा है कहते हुये मरीज गैन्दूबाई ध्रुव को सर्जरी कर दिया गया।सर्जरी पश्चात मरीज को दस से ग्यारह दिनों तक लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल में रखा गया।बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया,उनके परिजनों द्वारा मरीज को घर ले जाया गया। ईलाज में कुछ प्रोग्रेस नहीं होने की वजह से लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल के संचालक व चिकित्सक को मरीज के परिजनों द्वारा संपर्क करने पर मरीज को रायपुर ले आओं ऐसा कहते हुये रायपुर स्थित नानक हास्पिटल में पुन दाखिल किया गया फिर से वही प्रोसेस सिटी स्कैन फिर जाच फिर डिस्चार्ज का सिलसिला चलते गया और अंतत आदिवासी महिला को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है।महिला की मौत 10 मई को रायपुर के मेकहारा अस्पताल में हो गया था ।और इस घटना से भरा पूरा परिवार बिखर गया । मृतक का पति भागीरथी मरकाम सहित दो पुत्र एवं एक सुपुत्री गजेन्द्र मरकाम 19. कु अनिला मरकाम 14 कुबेर मरकाम 8 वर्ष अब बिना मां के बेसहारा हो गया है।
,,,लक्ष्मी नारायणा हास्पिटल का आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पे व नगद जमा,,,,,,दिनाक 11.04 2024- ,लक्ष्मी हास्पिटल को फोन पे 400000, सिटी स्कैन राजिम को 4500.00,.12.04 2024 को फोन पे 20000.00,.15.04.2024 को 7000.00 नगद काउंटर में 18.04.2024 को 6500.00 नगद जमा।
*नानक हास्पिटल रायपुर का आयुष्मान कार्ड के अलावा फोन पे व नगद जमा,,,,,दिनाक 02.05.24-5000 नगद जमा व 8000.00 फोन पे 04.05.24 को 10000.00 नगद जना, 06.05.24 को 10000.00 नगद, सिटी स्कैन भवानी डायग्नोसिस्ट रायपुर को 6000.00 नगद जमा। 02.05.24 को आयुष्मान कार्ड से डिडक्ट का डिटेल्स 32000.00 निकाला गया।
*मृतक गैंदू बाई ध्रुव ने रायपुर के मेकाहारा में ली अंतिम सांस,,,,,,,जिस तरह से आदिवासी महिला से ये लोग खेलते रहे है और अपना ज्ञान के साथ नए प्रशिक्षु को भी ज्ञान बढ़ाते रहे जिसका नतीजा महिला की मौत हो गई और सबसे बड़ी बात सामने आई की मृतक का पोस्ट मार्टम भी नही किया गया और परिवार को सुपुर्द कर मामला कफन दफन कर दिया गया।
*सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनीं गाइडलाइंस, बिना जांच ऑपरेशन पर रोक,,,,,,,सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हिस्टरेक्टमी के लिए गाइडलाइंस बनी।अब 40 साल से कम उम्र की महिला का यूट्रस निकालने से पहले उसकी पूरी जांच होगी।हर जिले में एक मॉनिटरिंग कमिटी होगी,जो देखेगी कि वाकई महिला को ऑपरेशन की जरूरत है या नहीं।हिस्टरेक्टमी का हर केस दर्ज होगा। जिसमें महिलाओं की उम्र, गर्भाशय निकालने की वजह और हॉस्पिटल की पूरी जानकारियां शामिल होंगी।
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