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भरोसे* का नहीं *परभरोसे* का बजट- अनेक कर्मचारी नौकरी छोड़कर बेरोजगारी भत्ता मांगेंगे- कर्मचारी नेता विजय झा

* रायपुर। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के इस अंतिम बजट में भरोसे को तोड़ते हुए परभरोसे पर बजट छोड़ दिया गया है। जितने अनियमित कर्मचारी, स्कूल सफाई कर्मचारी आंगनबाड़ी को 10 दिन में नियमितीकरण का वादा करने वाली सरकार ऊंट के मुंह में जीरा के रूप में कुछ रुपए बढ़ाकर उनके साथ में छल कर रही है। प्रदेश में बेरोजगारी भत्ता ₹25 सौ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 10 हजार, मिनी आंगनबाड़ी 7500, सहायक आंगनबाड़ी 5 हजार के साथ मध्यान भोजन रसोईया कर्मचारी 18 सौ रुपए, नगर सैनिक 6 वर्ष बाद 63 सौ से 65 सौ मात्र 200 की बढ़ोतरी की गई है। प्रदेश के स्कूल सफाई कर्मचारी, मध्यान भोजन रसोईया कर्मचारी, गंभीरता से नौकरी छोड़ कर मुख्यमंत्री से बेरोजगारी भत्ता की मांग करने पर विचार कर रहे हैं। वहीं डेढ़ लाख अनियमित कर्मचारियों के साथ चुनाव पूर्व फिर धोखेबाजी हुई है। प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ता, गृह भाड़ा भत्ता पर सरकार शून्य है। वैसे गृह भाड़ा भत्ता, महंगाई भत्ता, नगर छतिपूर्ति भत्ता बजट का विषय नहीं है। किंतु प्रदेश के नवीन पेंशन योजना के कर्मचारियों के 18 वर्ष की जमा राशि उस पर चक्रवृद्धि ब्याज को अदानी जैसे एनएसडीएल कंपनी ने हजम कर गया। उस पर सरकार समर्थन कर रही है। कर्मचारियों के पैसों को वापस कराने की इच्छा शक्ति नहीं है, साथ ही कर्मचारियों से शपथ पत्र लेकर उन्हें नागपास में बांध दिया गया है। बजट को देखने से ऐसा लगता है, कि यह घोषणा अभी एनपीएस, ओपीएस, आरक्षण व्यवस्था एवं बेरोजगारी भत्ता जैसे दिवास्वप्न साबित होंगे। यह सब घोषणा आने वाली सरकार के ऊपर छोड़ कर भरोसे का नहीं विदाई का परभरोसे का बजट सिद्ध होगा।

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