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आई सी एफ ए आई विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पर्व 74वां गणतंत्र दिवस का आयोजन

विक्रम शाह ठाकुर@कुम्हारी। आई सी एफ ए आई विश्वविद्यालय में 74 वां गणतंत्र दिवस एवं वसंत पंचमी बड़ी धूम धाम से मनाई गई, सभी पावन तिरंगे झंडे के नीचे भारतीय गणतंत्र दिवस का महोत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए, यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हर भारतवासी के लिए गर्व और सम्मान का क्षण है।
सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर सत्य प्रकाश दुबे ने विश्वविद्यालय छात्रों की परेड के साथ, ध्वजारोहण किया तत्पश्चात राष्ट्रगान जन गन मन समवेत स्वर में प्रस्तुत किया गया, 26 जनवरी हम सभी के लिए गौरव का दिन है, हर भारतीय हर्ष और उल्लास के साथ इस राष्ट्रीय पर्व को मनाता है। चूंकि यह दिवस हर भारतीय के जीवन में एक विशेष महत्व रखता है। इस अवसर पर माननीय कुलपति महोदय ने अपने वक्ततव्य में कहा, कि आज हम अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहे है, मातृभूमि को, देश को, देश के अमर शहीदों को शत्-शत् नमन। परिस्थितियां कैसी भी हो, राष्ट्र के प्रति दृढ़ निष्ठ, सम्मान, और संकल्प हमारे लिए सर्वोपरि हो, हमारा अपने राष्ट्र के प्रति आत्मिक सम्मान हो, राष्ट्र की प्रगति हमारा प्रथम कत्र्तव्य होना चाहिए। हम चाहें कितनी भी तकनीक को समझ लें, जान ले किन्तु देश के प्रति हमारे संकल्प सदैव देश की प्रगति के लिए हो, छात्र-छात्राओं को संदेश देते हुए आपने कहा कि छात्र जीवन संकल्प से भरा हो, प्रतिस्र्पधा के इस युग में आप चाहें कहीं भी रहे, हमेशा अपने देश के लिए, उसके सम्मान ओर प्रेम के लिए दृढ़ हो। आज यह विचारणीय प्रश्न है कि हम अपने देश के लिए कितना सम्मान, प्रेम और विकास की भावना रखते है।
आज गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में हम सब यहां एकत्रित हुए हैं और हमें गर्व है की हम भारत के नागरिक हैं। भारत के वे सभी नायक जिन्होंने हमें आजादी दिलाने में स्वयं को न्योछावर कर दिया, आज उन्हें याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देने का भी दिन है
आज हम यहां पर सभी अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। आज का दिन भारत गणतंत्र रूप में घोषित किया गया था। हमारे देश को स्वतंत्र करने के लिए बहुत से महापुरुषों ने संघर्ष करते करते अपनी कुर्बानी दे दी। और ये दिन इतिहास के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है। हमारा देश 200 वर्षों के बाद अंग्रेजी हुकूमत से आजाद होने के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू किया गया ताकि देश के सभी नागरिकों को अधिकार प्राप्त हो सके। और संविधान में सभी नियम,कानून बनाये गए। जिससे की सुचारु रूप से लागू भी कर दिया गया। जिससे आज ही के दिन हमारा भारत डेमोक्रेटिव रिपब्लिक बना था। गणतंत्र का अर्थ होता है जनता का जनता के द्वारा शासन। जिन सेनानियों ने हमें अपना स्वराज्य वापस दिलाया है आज उन्ही की बदौलत से हम आजाद है, इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया जिनमे छात्र-छात्राओं द्वारा देशभक्ति गीत और नृत्य प्रस्तुत किया इस कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर श्वेता देवांगन ने किया,
इस समारोह के साथ ही विश्वविद्यालय में वसंत पंचमी का पर्व भी बड़े ही उत्साह पूर्वक मनाया गया. इस दिन शिक्षा की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना का विधान है, इस अवसर पर विश्वविद्यालय में माँ सरस्वती की प्रतिमा की पूजा अर्चना की गई, सभी विद्यार्थियों में सरस्वती वंदना के साथ वसंत पंचमी में हिस्सा लिया, कुलपति महोदय ने वसंत पंचमी के महत्त्व को बताते हुए कहा पंचमी तिथि को प्राचीन मान्यता के आधार पर देवी सरस्वती का प्राकट्î माना जाता है की। इसलिए इस दिन को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है इस पुण्य अवसर पर पीले रंग का विशेष महत्व होता है। इसके बाद शुरू होने वाली बसंत ऋतु में फसलें पकने लगती ह,ैं इसलिए कि बसंत का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है। पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। यह सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है। पीला रंग भारतीय परंपरा में शुभता का प्रतीक भी है। इस अवसर पर सभी को फल और मिठाइयाँ वितरित की गई, इस कार्यक्रम का संयोजन विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक समिति ने किया, इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण एवं सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे..

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