,छुरा – आईएसबीएम विश्वविद्यालय नवापारा (कोसमी) छुरा, गरियाबंद छत्तीसगढ़ में कला एवं मानविकी संकाय द्वारा मानव अधिकार दिवस मनाया गया।इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में सचित साहू, सीएमओ नगर पंचायत छुरा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय परंपरा अनुसार दीपप्रज्वलित कर एवं मां सरस्वती के तेलचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।बीए प्रथम वर्ष की छात्राएं रुपेश्वरी एवं बिन्दु साहू द्वारा सरस्वती वंदना एवं राजकीय गीत का गायन किया गया। अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने 1857 की क्रांति का छत्तीसगढ़ में अलख जगाने वाले शहीद वीर नारायण सिंह को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन करते हुए अतिथि परिचय एवं कार्यक्रम की आयोजन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने कहा कि किसी भी मनुष्य के सम्पूर्ण विकास के लिए मानव अधिकार आवश्यक है। मनुष्य के जीवन के विकास के लिए आवश्यक सभी क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वैश्विक स्तर पर मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा किया गया था।महान विचारक कौटिल्य ने कहा था कि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु अगर भूख से होती है तो वह उसके मानव अधिकारों का हनन है। मुख्य वक्ता ने अपने उदबोधन में कहा कि शिक्षा जीवन का महत्वपूर्ण मांग है, मानव होने के नाते प्रत्येक मनुष्य को अपने अधिकारों की समझ होनी चाहिए। मनुष्य को जन्म के समय से ही उसे कुछ नैसर्गिक अधिकार प्राप्त होता हैं। जैसे जैसे मनुष्य आगे बढ़ता है उसे अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जिसके लिए मनुष्य को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेकों अधिकारों की आवश्यकता होती है। युद्ध मानव अधिकारों का सबसे बड़ा दुश्मन है, अधिकारों के लिए मैग्ना कार्टा से लेकर फ्रांस की क्रांति तक लंबी लड़ाई लडी गई। फलस्वरूप दुनिया में पहली बार अमेरिकी संविधान में अपने नागरिकों के लिए अधिकारों की घोषणा किया। सम्पूर्ण विश्व में वसुधैव कुटुंबकम् की भावना हो तो मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह,शाॅल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। कला एवं मानविकी संकाय के विभागाध्यक्ष द्वारा सफल आयोजन के लिए आभार प्रकट किया गया।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, राष्ट्रीय सेवा योजना एवं एनसीसी अधिकारी तथा कैडेट्स एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक द्वारा किया गया। कार्यक्रम समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ।
